बेघर और बेचारे लोग म्यांमार के रोहिंग्या संकट पर राजीव ध्यानी के लम्बे लेख की पहली किश्त 12- 13 सितम्बर 17 को, जब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना रोहिंग्या शिविरों को देखने पहुंची तो उन्हें देखते ही म्यांमार की सीमा के पास स्थित बालुखाली-कुटुपलांग के शिविरों में एक साथ सैकड़ों महिलाओं के आर्त्रनाद गूँज उठे. जब माँओं ने बिलखते हुए बताना शुरू […]
