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किसान विरोधी सरकार को हराना है और जो किसान हितैषी होने का दावा कर रहे हैं उनको डराना है: योगेंद्र यादव

किसान विरोधी सरकार को हराना है और जो किसान हितैषी होने का दावा कर रहे हैं उनको डराना है: योगेंद्र यादव

प्रेस विज्ञप्ती  

स्वराज इंडिया/जय किसान आंदोलन

30 नवंबर 2018

  • किसान विरोधी सरकार को हराना है और जो किसान हितैषी होने का दावा कर रहे हैं उनको डराना है: योगेंद्र यादव

ऐतिहासिक किसान रैली में योगेन्द्र यादव ने पेश किया 21 सूत्री मांगपत्रक

  • मांगपत्रक में मजदूरों और पशुपालन से जुड़े समुदायों का सवाल भी प्रमुख, कहा आगे का संघर्ष इन 21 सूत्री मांगों के साथ

दिल्ली, 30 नवंबर। दिल्ली के संसद मार्ग पर आज हजारों की संख्या में पहुंचे किसानों ने किसान मुक्ति मार्च के बैनर तले अपनी दो प्रमुख मांगो के लिए हुंकार भरी। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की ओर से 207 संगठनों की ओर से आयोजित इस ऐतिहासिक किसान रैली में स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष और किसान नेता योगेन्द्र यादव ने किसानों की दो मुख्य मांगों पूर्ण कर्जामुक्ति और लागत का पूरा दाम के साथ 21 सूत्री मांग पत्रक की मंच से घोषणा की।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के मुख्य घटक संगठन रहे स्वराज इंडिया की ओर से योगेन्द्र यादव ने मंच से कहा कि किसानों को अपनी मांगों को तो मनवाना ही है, साथ ही बड़े-बड़े वादे और दावे करने वाली पार्टियों से भी सावधान रहना है। देश भर से आए हजारों किसानों को संबोधित करते हुए मंच से किसान नेता योगेन्द्र यादव ने कहा कि यह तो स्पष्ट है कि देश की सबसे किसान विरोधी सरकार भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकना है। पर जो 21 पार्टियां हमारे बिल का समर्थन कर रही हैं, उन्हें भी डरा के रखना है।

योगेंद्र यादव ने 21 सूत्री मांगों के बारे में बताया कि इसमें मजदूरों, पशुपालकों और खेती-किसानी से जुड़े अन्य समुदायों के मांगे शामिल की गयी हैं। हमारी भविष्य की एकता और मांगे दोनों ही इन 21 सूत्रीय मांगों के तहत ही आगे बढ़ेंगी।

किसान नेता योगेन्द्र यादव ने समर्थन देने वाली पार्टियों को डरा के क्यों रखना है, के बारे में बताया कि अगर इन पार्टियों को यह अंदाजा हो गया कि किसान तो हर बार की तरह इस बार ऐवें ही आए हैं और नारा लगाकर-रैली करके जाति-धर्म की राजनीति में उलझ जाएंगे तो ध्यान रखिए आज किसानों के बिलों पर समर्थन करने वाली ये पार्टियां भी सत्ता में बैठने के बाद किसानों की मांगों को भूल जाएंगी।

गौरतलब है कि किसानों ने पूर्ण कर्जामुक्ति और फसलों की लागत का ड्योढ़ा दाम को लेकर पिछले वर्ष किसान संसद लगाकर इन मांगों को बिल के रूप पास किया था। इस बिल को राज्यसभा सांसद राजू शेट्टी ने प्राइवेट बिल के रूप में संसद में पेश भी कर दिया था। इसी बिल को किसान चाहते हैं कि सरकार विशेष सत्र बुलाकर पास करे।

जय किसान आंदोलन के नेता अभिक साहा के मुताबिक अगर जीएसटी को लेकर सरकार आधी रात में संसद का सत्र बुला सकती है तो देश के अन्नदाता के लिए दो दिन का विशेष सत्र क्यों नहीं बुला सकती।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सचिव अभिक साहा ने किसानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि जबतक हमारा हक नहीं मिल जाता हमें चुप नहीं बैठना है, हमारा संकल्प ही हमारी जीत है। मंच का संचालन किसान नेता वीएम सिंह ने किया।

आंदोलन को समर्थन देने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत उन सभी 21 दलों के नेता पहुंचे थे, जिन्होंने किसानों के दोनों बिलों का समर्थन किया है।

वो बिल जिनको पास किए जाने की मांग कर रहे किसान:

  1. किसान ऋणमुक्ति विधेयक:

इस कानून का उद्देश्य है कि किसानों को कर्जे से मुक्त किया जाय। यानि कि किसानों पर खेती से जुड़े सभी कर्जो का जितना भी बोझ है उसे एक झटके में ख़त्म किया जाए।

2. किसान (कृषि उत्पाद लाभकारी मूल्य गारंटी) अधिकार विधेयक: यह कानून सभी किसानों को फसलों का सही दाम यानि पूरी लागत का डेढ़ गुना दिलाने की गारंटी देगा। इस कानून से किसान अपनी फसल का सही दाम सचमुच हासिल कर पाएंगे। यदि इस कानून के मुताबिक फसल का सही दाम नहीं मिलता तो किसान अदालत जा सकेंगे और दोषी अफसरों को सज़ा भी मिलेगी।

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